गुजरात ब्रिज हादसा
गुजरात ब्रिज हादसा


यह रविवार भारतीय राज्य गुजरात के लिए काला दिन साबित हुआ।रविवार की शाम 6:30 बजे गुजरात के मोरबी शहर के मच्छु नदी पर बने सस्पेंशन पुल टूट गयी।
इस दौरान पुल पर करीब 500 लोग सवार थे जो सभी नदी में गिर गए।
अब तक इस घटना में 140 से अधिक लोगो की मौत की पुष्टि हुई है एवं यह मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है जबकि 70 से अधिक लोगो घायल हुए है।
इनमें 50 से ज्यादा बच्चे एवं महिलाएं की मौत हुई है।
साथ ही बाकि लोगो के लिए रेस्क्यू टीम लगी हुई है।
इसमें राजकोट सांसद मोहन कुंदरिया के परिवार के 12 लोगो की मौत हो गई है।
स्थानीय लोगों के मदद से शवों को बाहर निकाला गया जो लोग ब्रिज के सहारे लगते रहे उनकी जान बच पायी है।
गुजरात सरकार द्वारा हेल्पलाइन नंबर
0282 2243300 जारी कर दिया गया है।
इस दौरान पुल पर करीब 500 लोग सवार थे जो सभी नदी में गिर गए।
अब तक इस घटना में 140 से अधिक लोगो की मौत की पुष्टि हुई है एवं यह मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है जबकि 70 से अधिक लोगो घायल हुए है।
इनमें 50 से ज्यादा बच्चे एवं महिलाएं की मौत हुई है।
साथ ही बाकि लोगो के लिए रेस्क्यू टीम लगी हुई है।
इसमें राजकोट सांसद मोहन कुंदरिया के परिवार के 12 लोगो की मौत हो गई है।
स्थानीय लोगों के मदद से शवों को बाहर निकाला गया जो लोग ब्रिज के सहारे लगते रहे उनकी जान बच पायी है।
गुजरात सरकार द्वारा हेल्पलाइन नंबर
0282 2243300 जारी कर दिया गया है।
कल जो गुजरात ब्रिज हादसा दर्दनाक हादसा हुआ ऐसा नही है कि यह पहली हुआ था वहां
इसके पहले भी 11 अगस्त 1979 को पूरा शहर में श्मशान में बदल गया था।
अधिक बारिश साथ ही स्थानीय नदियों के बाढ़ ने मच्छु डैम को ओवरफ्लो कर दिया था जिसमें संपूर्ण शहर में पानी ही पानी थी।
और 11 अगस्त के दोपहर 3 बजे पुरे शहर में तबाही मचा दिया यह इतना अचानक हुआ कि किसी को सोचने का भी मौका नही दिया।
इस हादसे में करीब 1439 लोगों एवं 12,849 से अधिक पशुओं की मौत हो गयी थी
आज से पांच साल पहले इसी शहर के चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहते है कि- मच्छु बांध हादसे के बाद राहत कार्यों के दौरान स्व इंदिरा गांधी जी मुँह पर रुमाल डाले दुर्गध और गंदगी से बच रही थी जबकि संघ के स्वयंसेवक कीचड़ व गंदगी में सेवाभाव से कार्य में लगे हुए थे।
इसके पहले भी 11 अगस्त 1979 को पूरा शहर में श्मशान में बदल गया था।
अधिक बारिश साथ ही स्थानीय नदियों के बाढ़ ने मच्छु डैम को ओवरफ्लो कर दिया था जिसमें संपूर्ण शहर में पानी ही पानी थी।
और 11 अगस्त के दोपहर 3 बजे पुरे शहर में तबाही मचा दिया यह इतना अचानक हुआ कि किसी को सोचने का भी मौका नही दिया।
इस हादसे में करीब 1439 लोगों एवं 12,849 से अधिक पशुओं की मौत हो गयी थी
आज से पांच साल पहले इसी शहर के चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहते है कि- मच्छु बांध हादसे के बाद राहत कार्यों के दौरान स्व इंदिरा गांधी जी मुँह पर रुमाल डाले दुर्गध और गंदगी से बच रही थी जबकि संघ के स्वयंसेवक कीचड़ व गंदगी में सेवाभाव से कार्य में लगे हुए थे।


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